आवक घटने और अनुमान की तुलना में उत्पादन कमजोर रहने की वजह से चने की कीमतों में तेजी जारी है.
जानकारों का कहना है कि दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के सरकार के कई उपायों के बावजूद इनके बढ़ते दाम चिंता का कारण बने हुए हैं.
पिछले दो-तीन वर्षों में देश में दलहन का उत्पादन घटा है, जिससे आयात लगातार बढ़ रहा है.
चना और अन्य सभी दालों की उपलब्धता के साथ ही कीमतों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि किसानों और उपभोक्ताओं को नुकसान नहीं पहुंचे.
उड़द और तुअर की मुक्त आयात नीति को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया गया है.
सरकार ने अप्रैल 2019 में गेहूं के आयात पर 40 फीसद की ड्यूटी लगा दी थी
वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-सितंबर की अवधि में 15 लाख टन दलहन का इंपोर्ट
अक्टूबर में दालों की थोक महंगाई दर बढ़कर 19.4 फीसद दर्ज की गई
सरकार की ओर से तुअर और उड़द दाल पर लागू मौजूदा स्टॉक लिमिट को बढ़ाया गया
उपभोक्ता मामलों के सचिव ने जुलाई से उत्पन्न होने वाली प्रक्रियात्मक बाधाओं पर चिंता व्यक्त की